52. क्या कारण है कि शीशे में हम अपने को तो तब ही देख पाते हैं जब इसके ठीक सामने होते हो पर ऐसी और बहुत -सी चीजें जरुर दिख जाती है, जो शीशे के सामने नहीं होती?
कोई भी वस्तु तब दिखाई देती है जब प्रकाश स्रोत से चली प्रकाश की किरणें वस्तु से टकरा कर हमारी आँखों तक पहुँचती है। इसे प्रकाश का परावर्तन कहते है। शीशे में हम अपने आपको तभी देख सकते है जब हमसे चली प्रकाश की किरण शीशे पर लम्बवत कराये।ऐसा तब ही हो सकता है जब हम शीशे के ठीक सामने खड़े हो। परन्तु शीशे के सामने न होने पर भी काफी और सारी वे वस्तुएँ भी दिखाई देती है जिनसे चला हुआ प्रकाश शीशे से टकराने के बाद हमारी आँखों तक पहुँच जाता है।
कोई भी वस्तु तब दिखाई देती है जब प्रकाश स्रोत से चली प्रकाश की किरणें वस्तु से टकरा कर हमारी आँखों तक पहुँचती है। इसे प्रकाश का परावर्तन कहते है। शीशे में हम अपने आपको तभी देख सकते है जब हमसे चली प्रकाश की किरण शीशे पर लम्बवत कराये।ऐसा तब ही हो सकता है जब हम शीशे के ठीक सामने खड़े हो। परन्तु शीशे के सामने न होने पर भी काफी और सारी वे वस्तुएँ भी दिखाई देती है जिनसे चला हुआ प्रकाश शीशे से टकराने के बाद हमारी आँखों तक पहुँच जाता है।
53. पदार्थ रंग-बिरंगे क्यों दिखाई देते हैं?
जब प्रकाश की किरणें किसी रंगीन वस्तु पर गिरती है तो रंगीन वस्तु उस रंग के प्रकाश को (जिस रंग की वह वस्तु है) छोड़कर सारे रंग का अवशोषण कर लेती है बाकी प्रकाश को परावर्तित कर देती है। जैसे घास का हरा दिखाई देना। घास हरे रंग के प्रकाश को परावर्तित कर देती है बाकी प्रकाश को अवशोषित कर देती है। यही कारण है कि वस्तु जिस रंग के प्रकाश को परावर्तित करती है वही रंग हमें वस्तु का दिखाई देता है।
जो वस्तुएं सभी रंगों को अवशोषित करती हैं वे काली दिखाई देती हैं तथा जो वस्तुएं सभी रंगों को परिवर्तित करती हैं वे सफ़ेद दिखाई देती हैं| क्योंकि प्रकाश के श्वेत रंग में सभी सात रंग विद्यमान होते हैं|
जब प्रकाश की किरणें किसी रंगीन वस्तु पर गिरती है तो रंगीन वस्तु उस रंग के प्रकाश को (जिस रंग की वह वस्तु है) छोड़कर सारे रंग का अवशोषण कर लेती है बाकी प्रकाश को परावर्तित कर देती है। जैसे घास का हरा दिखाई देना। घास हरे रंग के प्रकाश को परावर्तित कर देती है बाकी प्रकाश को अवशोषित कर देती है। यही कारण है कि वस्तु जिस रंग के प्रकाश को परावर्तित करती है वही रंग हमें वस्तु का दिखाई देता है।
जो वस्तुएं सभी रंगों को अवशोषित करती हैं वे काली दिखाई देती हैं तथा जो वस्तुएं सभी रंगों को परिवर्तित करती हैं वे सफ़ेद दिखाई देती हैं| क्योंकि प्रकाश के श्वेत रंग में सभी सात रंग विद्यमान होते हैं|
54. क्या कारण है कि ग्रेफाइट मुलायम होता है , जबकि हीरा कठोर होता है?
ग्रेफाइट की परतदार संरचना होती है। प्रत्येक कार्बन परमाणु अन्य तीन कार्बन परमाणुओं से जुड़कर षट्कोणिय वलय संरचना बनाते है। ऐसी वलय संरचनायें आपस में मिलकर एक परत संरचना का निर्माण करती है। प्रत्येक कार्बन का चौथा इलेक्ट्रान मुक्त अवस्था में रहता है दो परतों के मध्य आकर्षण बल दुर्बल होने के कारण एक परत दूसरी परत पर आसानी से फिसल सकती है इसलिए ग्रेफाइट नर्म होता है। जब हीरे की संरचना में कार्बन परमाणुओं की त्रिविम चतुष्फलकीय व्यवस्था होती है। प्रत्येक कार्बन परमाणु अन्य चार कार्बन परमाणुओं से एक बंध से जुड़ा रहता है। इस त्रिविमीय संरचना के कारण ही हीरा कठोर होता है।
ग्रेफाइट की परतदार संरचना होती है। प्रत्येक कार्बन परमाणु अन्य तीन कार्बन परमाणुओं से जुड़कर षट्कोणिय वलय संरचना बनाते है। ऐसी वलय संरचनायें आपस में मिलकर एक परत संरचना का निर्माण करती है। प्रत्येक कार्बन का चौथा इलेक्ट्रान मुक्त अवस्था में रहता है दो परतों के मध्य आकर्षण बल दुर्बल होने के कारण एक परत दूसरी परत पर आसानी से फिसल सकती है इसलिए ग्रेफाइट नर्म होता है। जब हीरे की संरचना में कार्बन परमाणुओं की त्रिविम चतुष्फलकीय व्यवस्था होती है। प्रत्येक कार्बन परमाणु अन्य चार कार्बन परमाणुओं से एक बंध से जुड़ा रहता है। इस त्रिविमीय संरचना के कारण ही हीरा कठोर होता है।
55. क्या कारण है कि तना हमेशा ऊपर की ओर तथा जड़े नीचे की ओर ही बढ़ती है?
बीज अंकुरित होने के बाद जड़े निकलती है तथा ऊपर की ओर तना निकलता है। जड़े हमेशा नीचे की ओर ही बढ़ती है क्योंकि एक विशेष बल के खिंचाव से जड़े हमेशा नीचे की ओर बढ़ती है जिसे धनात्मक भू-अभिवर्तन बल कहते है| उसी तरह से तना सदैव प्रकाश की ओर ही बढ़ेगा क्योंकि ऊपर की ओर एक विशेष बल के खिंचाव से जिस ऋणात्मक भू-अभिवर्तन कहते हैं के कारण ऊपर की ओर बढ़ता है।
बीज अंकुरित होने के बाद जड़े निकलती है तथा ऊपर की ओर तना निकलता है। जड़े हमेशा नीचे की ओर ही बढ़ती है क्योंकि एक विशेष बल के खिंचाव से जड़े हमेशा नीचे की ओर बढ़ती है जिसे धनात्मक भू-अभिवर्तन बल कहते है| उसी तरह से तना सदैव प्रकाश की ओर ही बढ़ेगा क्योंकि ऊपर की ओर एक विशेष बल के खिंचाव से जिस ऋणात्मक भू-अभिवर्तन कहते हैं के कारण ऊपर की ओर बढ़ता है।
56. पास की ट्रेन चलने पर अपनी ट्रेन चलती हुई क्यों लगती है?
गति प्रेरण के कारण ऐसा प्रतीत होता है। गति प्रेरण के अनुसार खड़ी हुई बस या ट्रेन में बैठे यात्री पास खड़ी दूसरी ट्रेन या बस के चलते हुये देखते है तो उन्हें अपनी ट्रेन या बस विपरीत दिशा में चलती हुई लगती है।
57. नाटकों में नकली वर्षा या कृत्रिम वर्षा कैसे होती है?
विभिन्न स्थानों पर इच्छानुसार नकली वर्षा करने के लिये सिल्वर आयोडाइड या ड्राई आइस का प्रयोग करते है। कोयला की आग में सिल्वर आयोडाइड छिड़कने से धुंए के बादल बन जाते हैं जिन्हें उड़ाकर कृत्रिम वर्षा की जाती है। इसके लिए किसी मौसम का इंतज़ार नहीं करना पड़ता है।
गति प्रेरण के कारण ऐसा प्रतीत होता है। गति प्रेरण के अनुसार खड़ी हुई बस या ट्रेन में बैठे यात्री पास खड़ी दूसरी ट्रेन या बस के चलते हुये देखते है तो उन्हें अपनी ट्रेन या बस विपरीत दिशा में चलती हुई लगती है।
57. नाटकों में नकली वर्षा या कृत्रिम वर्षा कैसे होती है?
विभिन्न स्थानों पर इच्छानुसार नकली वर्षा करने के लिये सिल्वर आयोडाइड या ड्राई आइस का प्रयोग करते है। कोयला की आग में सिल्वर आयोडाइड छिड़कने से धुंए के बादल बन जाते हैं जिन्हें उड़ाकर कृत्रिम वर्षा की जाती है। इसके लिए किसी मौसम का इंतज़ार नहीं करना पड़ता है।
59. सूक्ष्मजीव मिट्टी को उपजाऊ कैसे बनाते हैं?
जीवाणु मृत शरीर के अनेक भागों को भोजन के रूप में उपयोग कर उन्हें अकार्बनिक पदार्थो में बदल देते है। इसी प्रकार पत्तियों, गोबर, मलमूत्र आदि का अपघटन कर उन्हें ह्यूमस में बदल देते है। ह्यूमस मिट्टी को उपजाऊ बनाता है।
60. लोहे के पुल का एक सिरा स्थिरता से कसा हुआ होता है जबकि दूसरा सिरा रोलर पर ठहरा हुआ क्यों रखते है?
लोहे के पुल में एक सिरा स्थिरता से कसा होता है जबकि दूसरा सिरा रोलर पर ठहरा हुआ रखते हैं क्योंकि गर्मी के दिनों में ताप की अधिकता से लोहा गर्म होकर फैलता है| रोलर के कारण इसे फैलने की जगह मिल जाती है और पुल क्षतिग्रस्त होने से बच जाता है। यदि लोहे केे दोनों सिरों को स्थिर कर लिया जाये तो पुल को क्षतिग्रस्त होने का खतरा बना रहता है।
61. जब कोई व्यक्ति किसी चलती हुई गाड़ी से कूदता है तो वह मुँह के बल आगे की ओर क्यों गिरता है?
जब कोई व्यक्ति किसी चलती गाड़ी से कूदता है तो वह मुँह के बल आगे की ओर गिर जाता है क्योंकि जब व्यक्ति गाड़ी में था तब उसका पूरा शरीर भी गाड़ी के वेग से गतिमान था। जब वह कूदता है तब उसके पांव जमीन के लगते ही स्थिर हो जाते है, परन्तु ऊपर का शरीर गाड़ी के वेग से गतिमान रहता है फलस्वरूप व्यक्ति मुँह के बल आगे की ओर गिर जाता है। गिरने से बचने के लिए व्यक्ति को उतारते समय आगे की तरफ हल्का सा दौड़ना/चलना चाहिए|
64. क्या कारण है कि पानी, कैरोसीन सुगमता से बहते है जबकि शहद, ग्लिसरीन कठिनाई से बहते है?
पानी तथा कैरोसीन सुगमता से बहते है जबकि शहद व ग्लिसरीन कठिनाई से बहते है क्योंकि इनके कण परस्पर घर्षण कर बहने का विरोध करते है। यह प्रवृति जल व कैरोसीन की अपेक्षा शहद तथा ग्लिसरीन में अधिक होती है। अतः शहद व ग्लिसरीन कठिनाई से बहते हैं जबकि पानी और कैरोसीन आसानी से बहते हैं।
65. लोहे व पीतल से बनी द्वि-धातु पत्ती को गर्म करने पर वह लोहे की पत्ती की ओर मुड़ जाती है क्यों?
लोहे व पीतल से बनी द्वि-धातु पत्ती को गर्म करने पर वह लोहे की पत्ती की ओर मुड़ जाती है क्योंकि पीतल में उष्मीय प्रसरण लोहे की तुलना में तीव्र होता है जिससे पीतल लोहे की अपेक्षा जल्दी फैलता है| अतः वह लोहे की ओर मुड़ जाती है।
66. सर्दी के दिनों में पानी के नल क्यों फट जाते हैं?
सर्दी के दिनों में जब अधिक ठण्ड पड़ती है तो 4°से कम तापमान पर पानी बर्फ में बदल जाता है तथा 4° से नीचे तापमान पर पानी का आयतन बढ़ता है अर्थात बर्फ जमने पर बर्फ का आयतन बढ़ जाता है। आयतन बढ़ने से ही सर्दी के दिनों में नल के पाइप फट जाते हैं।
जीवाणु मृत शरीर के अनेक भागों को भोजन के रूप में उपयोग कर उन्हें अकार्बनिक पदार्थो में बदल देते है। इसी प्रकार पत्तियों, गोबर, मलमूत्र आदि का अपघटन कर उन्हें ह्यूमस में बदल देते है। ह्यूमस मिट्टी को उपजाऊ बनाता है।
60. लोहे के पुल का एक सिरा स्थिरता से कसा हुआ होता है जबकि दूसरा सिरा रोलर पर ठहरा हुआ क्यों रखते है?
लोहे के पुल में एक सिरा स्थिरता से कसा होता है जबकि दूसरा सिरा रोलर पर ठहरा हुआ रखते हैं क्योंकि गर्मी के दिनों में ताप की अधिकता से लोहा गर्म होकर फैलता है| रोलर के कारण इसे फैलने की जगह मिल जाती है और पुल क्षतिग्रस्त होने से बच जाता है। यदि लोहे केे दोनों सिरों को स्थिर कर लिया जाये तो पुल को क्षतिग्रस्त होने का खतरा बना रहता है।
61. जब कोई व्यक्ति किसी चलती हुई गाड़ी से कूदता है तो वह मुँह के बल आगे की ओर क्यों गिरता है?
जब कोई व्यक्ति किसी चलती गाड़ी से कूदता है तो वह मुँह के बल आगे की ओर गिर जाता है क्योंकि जब व्यक्ति गाड़ी में था तब उसका पूरा शरीर भी गाड़ी के वेग से गतिमान था। जब वह कूदता है तब उसके पांव जमीन के लगते ही स्थिर हो जाते है, परन्तु ऊपर का शरीर गाड़ी के वेग से गतिमान रहता है फलस्वरूप व्यक्ति मुँह के बल आगे की ओर गिर जाता है। गिरने से बचने के लिए व्यक्ति को उतारते समय आगे की तरफ हल्का सा दौड़ना/चलना चाहिए|
64. क्या कारण है कि पानी, कैरोसीन सुगमता से बहते है जबकि शहद, ग्लिसरीन कठिनाई से बहते है?
पानी तथा कैरोसीन सुगमता से बहते है जबकि शहद व ग्लिसरीन कठिनाई से बहते है क्योंकि इनके कण परस्पर घर्षण कर बहने का विरोध करते है। यह प्रवृति जल व कैरोसीन की अपेक्षा शहद तथा ग्लिसरीन में अधिक होती है। अतः शहद व ग्लिसरीन कठिनाई से बहते हैं जबकि पानी और कैरोसीन आसानी से बहते हैं।
65. लोहे व पीतल से बनी द्वि-धातु पत्ती को गर्म करने पर वह लोहे की पत्ती की ओर मुड़ जाती है क्यों?
लोहे व पीतल से बनी द्वि-धातु पत्ती को गर्म करने पर वह लोहे की पत्ती की ओर मुड़ जाती है क्योंकि पीतल में उष्मीय प्रसरण लोहे की तुलना में तीव्र होता है जिससे पीतल लोहे की अपेक्षा जल्दी फैलता है| अतः वह लोहे की ओर मुड़ जाती है।
66. सर्दी के दिनों में पानी के नल क्यों फट जाते हैं?
सर्दी के दिनों में जब अधिक ठण्ड पड़ती है तो 4°से कम तापमान पर पानी बर्फ में बदल जाता है तथा 4° से नीचे तापमान पर पानी का आयतन बढ़ता है अर्थात बर्फ जमने पर बर्फ का आयतन बढ़ जाता है। आयतन बढ़ने से ही सर्दी के दिनों में नल के पाइप फट जाते हैं।
How to get Fair Skin at Home Naturally
67. रेल की पटरियों के मध्य खाली जगह क्यों छोड़ी जाती हैं?
रेल की पटरियों के जोड़ के मध्य खाली जगह छोड़ी जाती है, ताकि गर्मी के दिनों में पटरियों के फैलने के लिये जगह मिल सके। यदि इन पटरियों के मध्य रिक्त स्थान नहीं छोड़ा जाये तो गर्मी में उष्मा पाकर फैलने पर पटरी टेढ़ी-मेढ़ी हो जायेगी। अतः गर्मी के दिनों में पटरियों को टेढ़ी-मेढ़ी होने से बचाने के लिये पटरियों के मध्य जगह छोड़ी जाती है।
68. जब मनुष्य नाव से किनारे पर कूदता है तो वह अपने पाँव से नाव को पीछे की ओर धक्का क्यों देता है?
जब मनुष्य नाव से किनारे पर कूदता है तो वह अपने पांव से नाव को पीछे की ओर धक्का देता है क्योंकि नाव प्रतिक्रया के फलस्वरूप मनुष्य के विपरीत दिशा में धक्का देती है फलतः मनुष्य किनारे की ओर गति करता है और नाव किनारे से दूर विपरीत दिशा में गति करती है।
69. रात में तारे टिमटिमाते हुये प्रतीत क्यों होते हैं?
पृथ्वी की सतह से ऊपर वायुमंडल में हवा का दाब एवं घनत्व सर्वत्र समान नहीं होता है। तारों से आने वाली प्रकाश की किरणें वायु मण्डल की विभिन्न परतों से अपवर्तित होकर गुजरती है इन परतों का घनत्व ताप में परिवर्तन के कारण भी अनवरत बदलता रहता है। परिणामस्वरूप तारों की आभासी स्थिति भी अनवरत बदलती रहती है एवं तारे टिमटिमाते हुये प्रतीत होते है।
70. घरों में कमरों की छत के निकट रोशनदान क्यों लगाये जाते हैं?
घरों में कमरों की छत के निकट रोशनदान लगाये जाते हैं। कमरे में व्यक्तियों के श्वसन तथा अन्य कारणों से हवा गर्म होकर ऊपर उठती है और रोशनदान से निकल जाती है इसका स्थान लेने के लिये खिड़कियों से ताज़ी ठंडी हवा अन्दर आ जाती है। इसी कारण घरों में कमरों की छत के निकट रोशनदान लगाये जाते हैं।
72. सिरका व खाने के सोडे के घोल के पास यदि जलती हुई माचिस की तिली ले जाते हैं तो वह क्यों बुझ जाती है?
सिरका व खाने के सोडे का यदि घोल बनाया जाये तो इन दोनों पदार्थो की रासायनिक अभिक्रिया के फलस्वरूप कार्बनडाई ऑक्साइड गैस बनती है जो बुलबुलों के रूप में बनती हुई दिखाई देती है। जब इस घोल के पास जलती हुई माचिस की तीली ले जाई जाती है तो यह बुझ जाती है क्योंकि कार्बनडाई ऑक्साइड गैस आग बुझाने में सहायक होती है।
73. कोहरा कैसे बनता है?
सर्दियों की रात्रि में जब बादल नहीं होते है तब पृथ्वी की सतह अत्यधिक ठंडी हो जाती है तथा वायु में उपस्थित जल वाष्प संघनित होकर कणों के रूप में एकत्र हो जाती है व वातावरण घना हो जाता है| जिस कारण सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक आसानी से नहीं पहुँच पाता है और कुछ दूरी की वस्तु भी साफ़ दिखाई नहीं देती है। इसी स्थिति को कोहरा कहते है।
74. तिलचट्टे के पार्श्व भाग में मोम का लेप कर देने से क्यों मर जाते हैं?
तिलचट्टे के पार्श्व भाग में श्वास रन्ध्र होते है। मोम का लेप करने पर ये श्वास रन्ध्र बंद हो जाते हैं। श्वास रन्ध्र बंद हो जाने से श्वसन क्रिया रुक जाती है तथा कीट मर जाते हैं।
75. शरीर के किसी भाग में कोई चीज छुये हमें उसका तुरंत पता बिना देखे कैसे चल जाता है?
हमारे पुरे शरीर में त्वचा के ठीक नीचे स्नायुओं का जाल बिछा है जिनमें से विभिन्न प्रकार के अनुभवों के लिये अलग-अलग स्नायु कार्यरत रहते है यही स्नायु अनुभव मस्तिष्क को भेजती है और हमें उसका एहसास तुरंत हो जाता है।
76. एक ही जगह गोल घुमने के बाद रुक जाने पर भी चक्कर क्यों आते हैं?
हमारे शरीर का संतुलन बनाये रखने के लिये अन्तःकर्ण के भीतरी हिस्से में तीन अर्धवृत्ताकार नलिकायें होती है जिनकी दीवारों पर सूक्ष्म रोम होते है| इन नलिकाओं में द्रव भरा होता है। सामान्य अवस्था में यह द्रव स्थिर रहता है किन्तु गोल-गोल घुमने पर यह द्रव भी गति करने लगता है तथा सूक्ष्म रोमों द्वारा यह आवेश तंत्रिका द्वारा मस्तिष्क तक पहुँच जाता है। जिससे रुकने के बाद भी कुछ समय तक गतिशील रहता है। इसलिए ऐसा लगता है जैसे चक्कर आ रहे हों।
हमारे पुरे शरीर में त्वचा के ठीक नीचे स्नायुओं का जाल बिछा है जिनमें से विभिन्न प्रकार के अनुभवों के लिये अलग-अलग स्नायु कार्यरत रहते है यही स्नायु अनुभव मस्तिष्क को भेजती है और हमें उसका एहसास तुरंत हो जाता है।
76. एक ही जगह गोल घुमने के बाद रुक जाने पर भी चक्कर क्यों आते हैं?
हमारे शरीर का संतुलन बनाये रखने के लिये अन्तःकर्ण के भीतरी हिस्से में तीन अर्धवृत्ताकार नलिकायें होती है जिनकी दीवारों पर सूक्ष्म रोम होते है| इन नलिकाओं में द्रव भरा होता है। सामान्य अवस्था में यह द्रव स्थिर रहता है किन्तु गोल-गोल घुमने पर यह द्रव भी गति करने लगता है तथा सूक्ष्म रोमों द्वारा यह आवेश तंत्रिका द्वारा मस्तिष्क तक पहुँच जाता है। जिससे रुकने के बाद भी कुछ समय तक गतिशील रहता है। इसलिए ऐसा लगता है जैसे चक्कर आ रहे हों।
Nice article.
ReplyDeleteCoronavirus testing labs in Kerala