रासायनिक अभिक्रिया

रासायनिक अभिक्रिया
रासायनिक अभिक्रियाएं वे प्रक्रियाएं है जिनमें नये गुणधर्मों के साथ नये पदार्थों का निर्माण होता है। किसी अभिक्रिया को इस प्रकार व्यक्त किया जाता है कि बायें ओर अभिकारक तथा दायें ओर उत्पाद व मध्य में तीर का निशान लगा दिया जाता है। अभिकारकों व उत्पादों में योग (+) का चिह्न लगाया जाता है।
वे पदार्थ जो अभिक्रिया में भाग लेते हैं, अभिकारक कहलाते हैं
वे पदार्थ जो अभिक्रिया में नये बनते हैं, उत्पाद कहलाते हैं।
जैसे:
मैग्नीशियम + ऑक्सीजन → मैग्नीशियम ऑक्साइड
यह समीकरण शब्द समीकरण है
किसी भी अभिक्रिया को शब्द समीकरण के रूप में लिखना लम्बा हो जाता है। इसलिए रासायनिक अभिक्रिया को शब्दों के रूप में व्यक्त न करके रासायनिक सूत्र के रूप में व्यक्त किया जाता है। जिसे रासायनिक समीकरण कहते हैं।
असंतुलित रासायनिक समीकरण
वह रासायनिक समीकरण जिसमें तीर के निशान के दोनों ओर के प्रत्येक  तत्व के परमाणुओं की संख्या समान न हो असंतुलित या कंकाली समीकरण कहलाता है।
जैसे-
यह कंकाली समीकरण है। क्योंकि इसमें ऑक्सीजन परमाणु की संख्या दोनों और समान नहीं है।
संतुलित रासायनिक समीकरण
संतुलित रासायनिक समीकरण में तीर के निशान के दोनों ओर प्रत्येक  तत्व के परमाणुओं की संख्या समान होती है। कंकाली समीकरण को संतुलित करना आवश्यक होता है। क्योंकि द्रव्यमान ऊर्जा संरक्षण के नियमानुसार किसी भी रासायनिक अभिक्रिया में द्रव्यमान का न तो निर्माण होता है ना ही विनाश होता है।
अभिक्रिया में दोनों ओर परमाणुओं की संख्या समान होने पर उनका द्रव्यमान भी समान होता है। इसलिए रासायनिक समीकरण को संतुलित करना भी आवश्यक होता है।
समीकरण को संतुलित करने के लिए सर्वप्रथम जिस परमाणु की संख्या सर्वाधिक होती है उसे बराबर करते हैं इसके पश्चात् अन्य की संख्या को बराबर करते हैं।
1. संयोजन अभिक्रिया
वे रासायनिक अभिक्रियाएँ जिनमें दो या दो से अधिक अभिकारक (पदार्थ) जुड़कर एकल उत्पाद का निर्माण करते हैं। संयोजन अभिक्रियाएँ कहलाती हैं।

जैसे:
इस अभिक्रिया में ठोस कैल्शियम ऑक्साइड व जल का अणु जुड़कर एकल उत्पाद कैल्शियम हाइड्रोक्साइड का निर्माण कर रहे है। कैल्शियम ऑक्साइड बिना बुझा हुआ चूना होता है। जिसका उपयोग दीवारों की सफेदी करने में किया जाता है।
उपरोक्त रासायनिक अभिक्रिया में निर्मित कैल्शियम हाइड्रोऑक्साइड को दीवारों पर सफेदी करने के दो या तीन दिन बाद तक यह CO2 से धीमी गति से क्रिया कर कैल्शियम कार्बोनेट का निर्माण करता है जिसे संगमरमर भी कहते हैं।
2. वियोजन या अपघटन अभिक्रिया
वे रासायनिक अभिक्रियाएँ जिनमें एकल अभिकारक (यौगिक) टूटकर दो या दो से अधिक उत्पाद बनाता है, वियोजन या अपघटन अभिक्रियाएँ कहलाती हैं।
वियोजन अभिक्रिया में उष्मा का अवशोषण होता है इसलिए इन्हें उष्माशोषी अभिक्रिया भी कहा जाता है। इसके तीन रूप होते हैं
1. उष्मा
2. तापन
3. विद्युत्धारा
3. विस्थापन अभिक्रिया
वे रासायनिक अभिक्रियाएँ जिनमें एक तत्व दूसरे तत्व को उसके यौगिक से अलग कर देता है, विस्थापन अभिक्रियाएँ कहलाती हैं।
जैसे:
लोहे की कील को कॉपर सल्फेट के विलयन में ले जाने पर कील का रंग भूरा हो जाता हे तथा कॉपर सल्फेट के विलयन का रंग नीला मलीन हो जाता है। क्योंकी लोहा(आयरन), कॉपर को उसके विलयन से पृथक कर देता है।
4. द्विविस्थापन अभिक्रिया
वे रासायनिक अभिक्रियाएँ जिनमें क्रिया कारकों के बीच आयनों का आदान-प्रदान होता है व सभी अभिक्रियाएँ द्विविस्थापन अभिक्रियाएँ कहलाती हैं।
इस अभिक्रिया में Ba2+ तथा (SO4) 2-  आयनों की क्रिया से BaSO4 के अवक्षेप का निर्माण होता है।
5. उपचयन एवं अपचयन
वे रासायनिक अभिक्रियाएँ जिनमें एक अभिकारक का उपचयन व दूसरे अभिकारक का अपचयन होता है वे अभिक्रियाएँ उपचयन - अपचयन (रेडॉक्स) अभिक्रियाएँ कहलाती हैं।
अभिकारक में ऑक्सीजन का जुड़ना अथवा हाइड्रोजन का निकलना उपचयन तथा ऑक्सीजन का निकलना अथवा हाइड्रोजन का जुड़ना अपचयन कहलाता है।
जैसे:
इस रासायनिक अभिक्रिया का तापन कराने पर कॉपर का अपचयन व हाइड्रोजन का उपचयन हो जाता है।
6. उष्माक्षेपी अभिक्रिया
वे रासायनिक अभिक्रियाएँ जिनमें उत्पाद के निर्माण के साथ-साथ उष्मा का भी उत्सर्जन होता है वे सभी अभिक्रियाएँ उष्माक्षेपी अभिक्रियाएँ कहलाती हैं।
जैसे प्राकृतिक गैस का दहन
7. उष्माशोषी अभिक्रिया
वे रासायनिक अभिक्रियाएँ जिनमें उष्मा का अवशोषण होता है वे सभी अभिक्रियाएँ उष्माशोषी अभिक्रियाएँ कहलाती हैं।
सभी अपघटन अभिक्रियाएं ऊष्माक्षेपी होती है।
1. संक्षारण
जब कोई धातु अम्ल, क्षार, नमी आदि के संपर्क में आती हे तो वह नष्ट होने लगती हे जिसे संक्षारण कहते हैं।
संक्षारण के कारण चाँदी के ऊपर काली परत व ताँबे के ऊपर हरे रंग की परत चढ़ जाती है।
संक्षारण के कारण ही पुल, लोहे की रेलिंग, जहाज, धातु, विशेषकर लोहे से बनी वस्तुएं नष्ट हो जाती हैं।
जिसका मुख्य कारण उपचयन अभिक्रिया है।
संक्षारण को पैंट करके रोका जा सकता है।
2. विकृतगंधिता
वसायुक्त अथवा तैलिय खाद्य सामग्री जब लंबे समय तक रखे रह जाते हैं तो इनका उपचयन हो जाता है जिसके कारण इनका स्वाद एवं गंध बदल जाती हैं तथा ये विकृतगंधी हो जाती हैं, इसके प्रभाव को रोकने के लिए खाद्य सामग्री को वायुरोधी बर्तनों में रखा जाता है।
चिप्स बनाने वाले चिप्स की थैली में से ऑक्सीजन निकालकर नाइट्रोजन जैसी कम सक्रिय गैस भर देते हैं ताकि उनका उपचयन ना हो सकें|

1 Comments

  1. Thanks for sharing this article. Get to know about the best radiology diagnostic centre in Kerala.

    ReplyDelete
Post a Comment
Previous Post Next Post